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संदेश

बादशाह

लालकिले की प्राचीर से एक प्रधानमंत्री तिरंगा फहराता है और भाषण देता है लाखों लाख लोग देखते सुनते हैं टीवी के जरिये और कुछ हजार कुछ सौ मीटर दूर नीचे बैठे हुए . उसके और जनता के बीच दूरियों की  ही नहीं बुलेट प्रूफ की बाधा भी होती है वह जनता का स्पर्श क्या पसीने की गंध तक महसूस नहीं कर पाता इसीलिए विद्युत् तरंगो से होता हुआ उसका सन्देश जन मानस को मथ नहीं पाता लेकिन इसमें प्रधानमंत्री की क्या गलती गलती पैंसठ साल पहले हुई थी जब स्वतंत्रता का ध्वज उस लालकिले की प्राचीर से फहराया गया था जिसे एक बादशाह ने हजारों मजदूरों का पसीना सोख कर बनवाया था. इसके बनाने वाले मजदूर किसी झोपड़ी में आधे अधूरे सो रहे थे और बादशाह आराम से था अपने महल में जनता और बादशाह के बीच की यह दूरी ही तो आज भी बनी हुई है.

द्रौपदी

महाभारत में पढ़ा था दुश्शासन ने खींची थी द्रौपदी की चीर लाज बचने के लिए चीखती रही थी द्रौपदी मूक बैठे रहे थे पितामह और पांडव ध्रतराष्ट्र तो वैसे ही अंधे थे गांधारी ने नेत्रों पर कपड़ा बाँध लिया था. तब कृष्ण ने किया था चमत्कार बढ़ती चली गयी थी द्रौपदी की चीर नींची होती गयी थी कौरव पांडवों की निगाहें दुश्शासन थक कर चूर हो गया था. मगर आज के भारत में न जाने कितनी द्रौपदियों की चीर खींची जाती है अब कृष्ण चमत्कार नहीं करते द्रौपदी की लाज बचाने को . आजकल वह अपने सुदर्शन चक्र की जंग उतार रहे हैं। आधुनिक द्रौपदी की छः गज से भी कम की फटी साड़ी पल में ज़मीन पर बिखर जाती है पार्श्व में शीला की जवानी गीत बजता रहता है कौरवों के साथ पांडव भी कनखियों से देखते आनंदित होते हैं कोई खुल के कुछ नहीं बोलता क्यूंकि हम्माम में सभी नंगे हैं इसीलिए दुश्शासन भी कभी थकता नहीं आज के महान भारत का.

लाल रंग

नन्हा मचल रहा था- माँ कल होली है मैं भी रंग खेलूंगा मुझे रंग ला दे माँ कहाँ से लाती रंग बड़े जतन के बाद दो रोटियां जुड़ पाती थी एक नन्हे को देती आधी खुद खाती आधी नन्हे के सुबह के नाश्ते के लिए रख देती. मना कर दिया माँ ने नन्हा मचलने लगा मांग न पूरी होने पर फूट फूट कर रोने लगा इतना रोया इतना रोया कि पूरा चेहरा लाल पड़ गया फिर रोते सुबकते, थक कर चुप हो गया माँ पास आई, बोली- चल बेटे रोटी खा ले कि तभी नन्हे के मुंह पर नज़र पड़ी नन्हे का गाल थपकते हुए बोली- अरे तूने कब रंग खेल लिया देख तेरे गाल लाल हो गए हैं. नन्हे ने शीशा देखा माँ की बात सच थी चेहरा सचमुच लाल था खुश हो कर माँ को देखा अरे हाँ माँ, सच ! पर तुम्हारी आँखों में तो काफी रंग चला गया है कितनी लाल हो रही हैं तुम्हारी आँखें.

सिंहासन

देखो दोस्त, जनपथ पर राजा बैठा है, उसका एक गद्दियों वाला बड़ा सिंहासन है जो बहुत मज़बूत है राजा बहुत ताक़तवर है उसके पास दंड और क्षमा का राजदंड होता हैं उसके दोनों और विद्या और बुद्धी का प्रकाश उसे निर्णय लेने की राह दिखाता रहता है लेकिन वह इन शक्तियों का उचित प्रयोग नहीं करता वह इन शक्तियों को वैयक्तिक मानता है, इनका दुरूपयोग करता है वह प्रजा को, नियम और कानूनों को अपनी पायदान बना लेता है. उसे घमंड है अपने बड़े से मज़बूत सिंहासन पर इसलिए वह प्रजा हित के बजाय अपने और अपने ईष्ट मित्रों पर ज्यादा ध्यान देता है लेकिन वह नहीं जानता कि सिंहासन कितना भी मज़बूत क्यूँ न हो गद्दी मज़बूत नहीं होती वह टिकी होती है चार पायों पर इसलिए महत्वपूर्ण उसके पाये होते है यह पाये संवेदनशील होते है भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद उन्हें विचलित कर देता है तुम इन्हें राजा की गद्दी के नीचे से सरका सकते हो पर ध्यान रहे इन पायों को हिंसक हो कर मत तोड़ना क्यूंकि, इन्हें ही फिर सहारा देना है जनपथ के राजा को.

आशीर्वाद

मुनिया की शादी हो गयी विदाई के समय उसने जितने बुजुर्गों के पैर छुए सबने आशीवार्द दिया- सदा सुहागन रहो. ससुराल आयी, स्वागत हुआ मुह दिखाई हुई उसने जितने  बड़ों के पैर छुए सबने आशीर्वाद दिया- सदा सुहागन रहो. एक दिन मुनिया सोच रही थी बचपन में मैंने माँ का दूध अधिक उम्र तक पिया था माँ कुढ़ कर कोसती थीं इतनी बड़ी हो गयी अभी तक दूध पीती है तू मर क्यूँ नहीं जाती. पढ़ने जाने लगी कक्षा में फेल हो गई अध्यापिका ने कहा- तुम इतने ख़राब नंबर लाई हो तुम्हे डूब मरना चाहिए. बाली उम्र थी एक सजीले लडके से प्रेम करने लगी पिता भाई को मालूम हुआ बहुत पिटाई हुई सभी कोसने लगे- यह दिन दिखाने से पहले तू मर क्यूँ नहीं गयी. मुनिया की आँखों में आंसू आ गए मुझे किसी ने कभी लम्बी उम्र का आशीर्वाद क्यूँ नहीं दिया? एक दिन मुनिया सचमुच मर गई श्मशान घाट ले जाने के लिए उसका शव सजाया जाने लगा. सहसा मुनिया की आत्मा वापस आयी उसने देखा उसके सास ससुर क्या उसके माता पिता भी उसके पति को कोस नहीं रहे थे. क्यूंकि उनका आशीर्वाद जो फल गया था.

आपस की बात

बाप का सीना गर्व से फूलता नहीं कि उसका बेटा अब जवान हो गया है. क्यूंकि अब जवान होते ही बेटा घर छोड़ कर चला जाता है. २- बहु द्वारा बेटे को कब्जियाने के बावजूद सासें अभागी है कि वह अपनी बहुओं को कोस नहीं सकती कि बहू ने उनके बेटों को पल्लू में बाँध लिया है क्यूंकि अब लड़कियाँ साड़ी नहीं पहनती. ३- लम्बे बेटे का बाप कभी बेटे को बराबरी का नहीं देख पाता. क्यूंकि, बेटा उसे हमेशा नीची नज़रों से देखता है. ४- पहले सासें बहु को भंडारे की चाभियाँ और रसोईं का भार सौंपती थीं. अब ऐसा नहीं होता क्यूंकि बहु क्रेडिट कार्ड पसंद करती है और सास के पास भी क्रेडिट कार्ड ही होता है. ५- दादा को रोते देख कर पोते ने कहा- दादू, तुम रोते क्यूँ हो तुमने ही तो हमेशा पिताजी को कंधे पर लेकर सर चढ़ाया और गर्दन झुका ली. ६- वह आजीवन कर्ज़दार रहे और कर्ज़दार मरे भी. क्यूंकि उनके पास आजीवन ढेरों क्रेडिट कार्ड रहे.

असुरक्षित

जो लोग ऊंचाई पर होते हैं वह सर्वथा असुरक्षित और अज्ञानी होते हैं. वह जब नीचे देखते हैं तो उन्हें देत्याकर भी बौने नजर आते हैं वह हाथी को चींटी समझते हैं उन्हें नीचे उठ रहा तूफ़ान चाय की प्याली का उफान लगता है वह वास्तविकता से दूर कल्पना के आकाश में विचरण करते हैं ऐसे लोगों से ज्यादा लोग घृणा करते हैं तुम इनसे डरो नहीं अपने शत्रु की शक्ति से अनभिज्ञ यह नीचे उतरते ही मार दिए जायेंगे. या यह जब लुढ़केंगे तब धरा पर मृत देह सा नज़र आयेंगे.