रविवार, 11 अगस्त 2019

कारण

बेशक शिकायत वाजिब है
कोई नहीं सुनता किसी की
क्या तुमने कुछ सुनाने की कोशिश की
सिर्फ शिकायत करना कोशिश नहीं ।

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रात के सन्नाटे में
उसकी चींख उभरी
और खामोश हो गई
अब झींगुर बोलने लगे थे।

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कोई कितनी भी कोशिश करे
किसी को समझाने की
बेकार है कोशिश
क्योंकि, समझने के लिए समझ भी ज़रूरी है।

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पहले हँसा
फिर रोया
फिर शून्य में झांकने लगा
दुःख व्यक्त करने के लिए ज़रूरी है यह।

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बेशक
कोई कुछ न करे
आदत है किसी की
लेकिन जब कोई कुछ करता है
सवाल न करे
यह आदत ठीक नहीं।


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मैं समझता रहा
कि सन्नाटा पसरा हुआ है 
सकपका गया मैं

मैं क्यों हूँ सन्नाटे में !


एक सपना


एक रात

वह मेरे ख़्वाब में आया

उसने

मेरे बाल सहलाये

मैंने आँखे खोली

वह मन्द मन्द मुस्कुराया

मैंने आँखें बन्द कर ली

बड़ा प्यारा सपना था

कैसे जाने दूँ

एक पल में आँखों से !

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...