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फ़रवरी 27, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गौरैया

एक एक कर बच्चे चले गए थे अपने अपने काम पर अपनी अपनी गृहस्थी में रमने तब मैं अकेला रह गया था. नितांत अकेला छोड़ कर पत्नी पहले ही चली गयी थी शायद वह मुझसे पहले इस यातना को सहना नहीं चाहती थी. सूना घर काटने को दौड़ता मुझे याद आता- बचपन में मैंने चिड़िया का एक घोसला तोड़ दिया था. अंडे निकाल कर जमीन पर पटक दिए थे. माँ ने बहुत डांटा था- बेटा यह क्या कर दिया किसी का घर उजाड़ दिया चिड़िया अब अकेली रह गयी उस दिन मुझे चिड़िया की चहचाहट दुःख भरी लगी इधर उधर देख रही थी मानो अपने अंडे खोज रही थी. चिड़िया के बच्चे नहीं हो पाए थे मेरे तो बच्चों के बच्चे हो गए उनके पैदा होने की खबरें आती ज़रूर थीं लेकिन बुलावा नहीं आया था पत्र केवल सूचनार्थ प्रेषित थे मुझे अचानक बाहर चहचाहट हुई एक चिड़िया इधर उधर कुछ ढूढ़ रही थी मुझे लगा दाना ढूंढ रही थी मैंने चावल के कुछ टूटे दाने दूर दीवाल पर रख दिए साथ में छोटे बर्तन में पानी भी चिड़िया पहले सशंकित हुई संदेह भरी नज़रों से मेरी ओर गर्दन घुमाई मुझे याद आ गया बचपन में घोसला तोड़ना दुबक गया परदे के पीछे. चिड़िया आश्वस्त हुई चावल के कुछ...