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मई 31, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अल्पना

आज भी तुम जब मुस्कराती हो  लजाती सकुचाती हो  रक्ताभ अपना मुख नीचे झुकाती हो तुम्हारे कपोलो की लालिमा मेरे हृदय मे अंकित कर देती है  प्रेम की अल्पना।