शुक्रवार, 31 मई 2024

अल्पना

आज भी तुम

जब मुस्कराती हो 

लजाती सकुचाती हो 

रक्ताभ अपना मुख

नीचे झुकाती हो

तुम्हारे कपोलो की लालिमा

मेरे हृदय मे अंकित कर देती है 

प्रेम की अल्पना। 

तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...