शनिवार, 14 जनवरी 2012

बूढ़ी

टिमटिमाती लालटेन की रोशनी
एक बूढी औरत
लालटेन की रोशनी की तरह
खाना बना रही
अपने, पति और बच्चों के लिए .
मंद प्रकाश के कारण,
खदबदाती भदेली में झांकती जाती है
कि खाना कितना पका.
रोटी बनाते समय
हाथ जल जल जाते हैं
क्यूंकि
काले तवे और अन्धकार में फर्क कहाँ
सब आते हैं,
खाना खाते हैं
बूढ़ी भी खाना  खाती है
बर्तन और चौका साफ़ कर सहेज देती है
सभी सो गए हैं
लालटेन की रोशनी धप्प धप्प कर रही है
और बूढ़ी की नींद में डूबी पलकें भी,
रात के अँधेरे में ग़ुम हो जाने के लिए .

तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...