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फ़रवरी 4, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

घर बनाने की बात करें

न तुम कुफ़र करो, न हम पाप करें। मिल बैठ कर इंसानियत की बात करें। लड़ भिड़ कर जलाए कई आशियाने आओ   अब इक घर बनाने की बात करें। हमने जलाया है, खोया है, बांटा है, आओ अब कुछ जुटाने की बात करें। मेरा धर्म तुम्हारे मजहब से मिलता नहीं, धर्म को मजहब से मिलाने की बात करें। गुलशन वीरान, रौंद दिये पौंधे सारे, आओ कल को सजाने की बात करें।