रविवार, 1 जुलाई 2012

नपुंसक

मैं जन्मना
न ब्राह्मण हूँ
न क्षत्रिय हूँ, न वैश्य
न ही ठाकुर हूँ।
मैं जन्मना नपुंसक हूँ
क्यूंकि
मेरे पैदा होने के बाद
नाल काटने से पहले
दाई ने पैसे धरवा लिए थे
यानि
मेरी ईमानदारी की नाल तो
सबसे पहले काट दी गयी थी।

हॅप्पी बर्थड़े

जन्मदिन पर
खूब सजावट की गयी
दोस्त पड़ोसी बुलाये गए
गुल गपाड़ा मचा
केक काटा गया
खाया कम गया,
चेहरों पर ज़्यादा लिपटाया गया
देर तक नाचते रहे सब
फिर पार्टी के बाद
बचा खाना और केक कौन खाता
बाहर फेंक दिया गया
सोने जा रहे थे सब कि
बाहर तेज़ शोर मचा
झांक कर देखा
सामने फूटपाथ के भिखारी
फेंका हुआ केक और खाना खा रहे थे
हमारी तरह चेहरे पर लगा रहे थे
लेकिन साथ ही पोंछ कर खाये भी जा रहे थे।
माजरा समझ में नहीं आया था
कि तभी ज़ोर का शोर उठा-
हॅप्पी बर्थ डे टु यू !

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...