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मई 28, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

रिश्ते

मैं पैदा हुआ माँ को बेटा मिला मुझे माँ मिली। फिर माँ को बेटी हुई वह पत्नी और दो बच्चों की माँ में बंटी   पर उसे दो बच्चे मिले मुझे एक बहन मिली । फिर मैं पढ़ने गया मुझे दोस्त और अध्यापक मिले मेरी शादी हुई मुझे पत्नी मिली उसे पति मिला हमारे बच्चे हुए वह माँ, बेटी, बहू और पत्नी बनी मैं पिता, बेटा, दामाद और पति बना हमारे नए रिश्ते बने हम खुद बंटे नहीं हमने रिश्ते बांटे और रिश्ते के दुख दर्द बांटे लेकिन यह बंटना कहाँ हुआ यह बनाना हुआ, बांटना हुआ रिश्तों और उनके दुख दर्द को।