रविवार, 10 जून 2012

काफिर (qaafir)

जागी हुई आँखों से जैसे कोई ख्वाब देखा है,
वीराने रेगिस्तानों में प्यासे ने आब देखा है।
बेशक नज़र आती हो जमाने को बेहयाई
मैंने उन्ही आंखो में शरमों लिहाज देखा है।
नशा ए रम चूर करता होगा तुझे जमाने
मैंने तो रम के ही अपना राम देखा है।
मजहब के नाम पर लड़ते हैं काफिर से
मैंने बुर्ज ए खुदा में अपना भगवान देखा है।

कन्या भ्रूण का विलाप (kanya bhroon ka vilaap)

वह
उसे गंदे बदबूदार कूड़े में
खून से सनी हुई ज़िंदगी पड़ी थी।
दूर खड़े ढेरो लोग
नाक से कपड़ा सटाये तमाशा देख रहे थे।
कुछ कमेंट्स कर रहे थे
खास कर औरते-
कौन थी वह निर्मोही!
जिसने बहा दिया इस प्रकार
अपनी कोख के टुकड़े को
नर्क में जाएगी वह दुष्ट !
बोल सकती अगर वह
अब निष्प्राण हो चुकी ज़िंदगी
तो शायद बोलती-
उम्र जीने से पहले मृत्यु दंड पा चुकी हूँ मैं
भोग रही हूँ, कोख से निकाल फेंक कर कूड़े का नर्क
क्या मुझे हक़ नहीं था
माँ की कोख में कुछ दिन रहने का
क्यों नहीं मंजूर थी मेरी ज़िंदगी
जीवांदायिनी माँ को !
क्या इसलिए कि मैं कन्या थी ?
या इसलिए कि मैं उसका पाप थी?
लेकिन कबसे पाप हो गया
कोई जीवन और कोई कन्या?

पत्नी (patni)

पत्नी
मैं तुझसे
प्रेम करता हूँ।
क्यूंकि,
तू भी ढाई अक्षर की है
और मेरा प्रेम भी।
2-
पत्नी
पति का पतन होने से बचाती हैं
क्यूंकि,
वह हमेशा कहती है-
पतन-नी ।
3-
ढाई अक्षर वाली पत्नी
ढाई अक्षर के बच्चों- 
पुत्र और पुत्री को
ढाई अक्षर का जन्म देती हैं।
4-
शादी के मंत्रों में
शादी करने वाले पंडित में
'अं' का उच्चार होता है
इनके जरिये
नारी और पुरुष मिलकर
एक होते हैं।
लेकिन ज्योही
इन दोनों के बीच
अहंकार का उच्चार होता है
एक से दो हो जाते हैं। 
5-
मैंने उसे
सात  फेरे लेकर
पत्नी नहीं बनाया था।
बल्कि
साथ फेरे लेकर
सात जन्मों का
साथी बनाया था।

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...