गुरुवार, 26 सितंबर 2019

अकेला


मैं अकेला ही था

चलता रहा उस राह पर

बना दिये थे पैरों के निंशान

आज उस पगडंडी पर

सैकड़ों चलते है

जिस राह पर चला था

मैं अकेला ।

तीन किन्तु

 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...