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दिसंबर 1, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बच्चा

बच्चा जब रोता है चुपके चुपके सुबकता सा सबसे छुपता छुपाता क्यूंकि माँ देख लेगी या कोई और देख कर माँ को बताएगा तो माँ डांटेगी- क्यूँ रोता है न मिलने वाली हर चीज़ के लिए जिद्द करते हुए ? बच्चा फिर भी रोता रहता है जानते हुए भी,  कि, उसे वह चीज़ नहीं मिल सकती ऐसे में उसे चीज़ न मिल पाने का दुःख रुलाता है . बड़े हो जाने के बावजूद आज भी वह बच्चा रोता है चुपचाप सुबकता हुआ इसलिए नहीं, कि, उसे मनचाही चीज़ नहीं मिल सकती बल्कि इसलिए कि वह छुपाना चाहता है अपने दुःख को जिसे वह सब को दिखा नहीं सकता इसी व्यक्त न कर पाने की  मजबूरी का दुःख उसे रुलाता है एक बच्चे की तरह.