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मार्च 13, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

अंधे की सुंदरी

एक अंधा लड़का आ खड़ा होता रोज ही अपने घर की खिड़की पर महसूस करना चाहता अपनी नाक, कान और त्वचा से प्रकृति को पक्षियों का चहचहाना सुनना ठंडी हवा के झोंकों के साथ सुगंध- दुर्गंध का अनुभव करना चाहता एक दिन, उसके घर की खिड़की के ठीक सामने की खिड़की खुली एक खूबसूरत स्त्री आ खड़ी हुई युवक को स्वर्गिक सुगंध की अनुभूति हुई वह भरता रहा फेफड़ों में  वह स्वार्गिक सुगंध रोज चलता रहा यह सिलसिला एक दिन लड़की की दृष्टि एकटक निहारते लड़के पर पड़ी लड़के की बेशर्मी पर लड़की को थोड़ा क्रोध आया उसने खिड़की बंद कर ली फटाक से लड़का अविचलित रहा खिड़की बंद होने की आवाज़ कहाँ सुनाई दी थी उसे दूसरे दिन भी ऐसा ही हुआ और उसके बाद के दिनों में भी एक दिन लड़की को मालूम हुआ कि लड़का अंधा था अब वह थोड़ा आश्वस्त हो गयी अंधे के सामने वह कुछ हरकतें भी कर सकती थी मसलन बाल सुखाना, कंघी करना, सामने की ओर देख मुस्कराना कभी शरारत से हाथ हिला देना भी। लड़की सोचती अभागा है यह अंधा सामने खड़े अप्रतिम सौन्दर्य को देख नहीं सकता, प्यार नहीं कर सकता मेरी मुस्कराहट का प्रत्युत्तर नहीं दे...