सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

नवंबर 13, 2021 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कोहरा और पिता

शीत रात्रि के बाद सूर्योदय से पहले  पिता घर आते थे द्वार खोलती थी माँ  ओस से भीगे पिता  और  गति से अंदर आता कोहरा  देख कर  सिहर जाता मैं  आज भी याद कर.