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जनवरी 6, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

राहगीर

राहगीर जब चलने लगा तो रास्ते ने उस से पूछा- मित्र, मैं तुम्हारा साथ देता हूँ तुम्हे राह दिखाता हूँ और तुम हो कि मुझे छोड़ कर जा रहे हो क्यूँ मेरा साथ नहीं देते? क्यूँ हम साथ साथ नहीं रहते? राहगीर ने कहा- तुम मेरे पथ प्रदर्शक हो मुझे लक्ष्य तक पहुंचना है मैं तुम पर चल कर अपने लक्ष्य पर पहुंचूंगा इसलिए मुझे तो जाना ही होगा लेकिन, तुम अकेले कहाँ हो? अभी और राहगीर हैं जो आएंगे, तुमसे रास्ता पाएंगे आगे बढ़ने का. तुम अगर मेरे साथ चलोगे तो बेशक मैं राह पा जाऊँगा अपनी मंजिल तक पहुँच जाऊंगा लेकिन, बाक़ी का क्या होगा? उन्हें रास्ता दिखाना और मंजिल तक पहुंचाना है तुम्हे इसे तुम तभी कर सकते हो जब तुम यही रहो मेरे साथ चल कर तो तुम राह नहीं राहगीर बन जाओगे ऐसे में मार्गदर्शन के बिना खुद तुम भी भटक जाओगे .

पियक्कड़

मेरे पियक्कड़ मित्र तुम मुझे नशे में चूर झूमते, लड़खड़ाते, बहकते और गाली बकते अच्छे लगते हो. अच्छे लगते हो, लड़खड़ा कर गिरते किसी नाले या गड्ढे में और फिर निकलते यह बडबडाते हुए - अरे, यह गड्ढा कहाँ से आ गया ? मुझे अच्छा लगता है क्यूंकि, तुम सत्ता या दौलत के नशे में नहीं झूम रहे तुम किसी कमज़ोर को गाली नहीं बक रहे अपने लड़खड़ाते क़दमों के नीचे रौंद नहीं रहे तुम अनायास आये गड्ढे में गिरने के बावजूद उनसे अच्छे हो जो मदमस्त होकर कुछ इस तरह गिरते हैं कि फिर उठ नहीं पाते अपने बनाए खड्ड में गिरकर निकल नहीं पाते.