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अगस्त 25, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मुर्दे

मुझे पसंद हैं मुर्दे ! जो सोचते नहीं मुंह खोलते नहीं वह सांस रोके निर्जीव आँखों से  देखते हैं ज़िंदा आदमी का फरेब जो देखता है, सब कुछ समझता है इसके बावजूद जब मुंह खोलता है तब न जाने कितने ज़िंदा मुर्दा हो जाते हैं। शायद इसीलिए देखते नहीं मुंह खोलते नहीं मुर्दे।