अगर आज
राजा हरिश्चंद्र होते
सच की झोली लिए
गली गली भटकते रहते
कि कोई परीक्षा ले उनके सच की
लेकिन
यकीन जानिए
उन्हे कोई नहीं मिलता
परीक्षा लेने वाला
जो मिलते
वह सारे
श्मशान के डोम होते
जो उनकी झोली छीन लेते
उनके ज़मीर की
चिता लगवाने से पहले ।
राजा हरिश्चंद्र होते
सच की झोली लिए
गली गली भटकते रहते
कि कोई परीक्षा ले उनके सच की
लेकिन
यकीन जानिए
उन्हे कोई नहीं मिलता
परीक्षा लेने वाला
जो मिलते
वह सारे
श्मशान के डोम होते
जो उनकी झोली छीन लेते
उनके ज़मीर की
चिता लगवाने से पहले ।