मंगलवार, 17 जुलाई 2012

राजा हरिश्चंद्र

अगर आज
राजा हरिश्चंद्र होते
सच की झोली लिए
गली गली भटकते रहते
कि कोई परीक्षा ले उनके सच की
लेकिन
यकीन जानिए
उन्हे कोई नहीं मिलता
परीक्षा लेने वाला
जो मिलते
वह सारे
श्मशान के डोम होते
जो उनकी झोली छीन लेते
उनके ज़मीर की
चिता लगवाने से पहले ।

बेकार

तुमने मुझे
बेकार कागज़ की तरह
फेंक दिया था ज़मीन पर।
गर पलट कर देखते
तो पाते कि मैं
बड़ी देर तक हवा के साथ
उड़ता रहा था
तुम्हारे पीछे।
 
कभी हवाओं से पूछो कि क्यूँ देती है आवाज़ पीछे से
बताएगी कि कहीं कुछ रह तो नहीं गया तेरा पीछे।

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...