रविवार, 26 अक्टूबर 2025

जैसे छाया

 मैंने अपने परम मित्र से कहा- 

तुम मेरे साथी हो 

सुख दुख के 

संघर्ष और विजय के 

हम दोनों शरीर और छाया जैसे है। 

पर यह क्या! 

अब वह साथ नहीं चलते 

पीछा करते है 

जैसे छाया !


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जैसे छाया

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