सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

क्षणिकाएँ लेबल वाली पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सत्य

 सत्य  भागता नहीं है  हम उससे भागते है  वह एक है  अनंत है  अकेला है हमें उसका साथ देना है  और साथ लेना भी है  किन्तु आप विचलित हो रहे है  भाग रहे हैं  अपने सत्य से ।

मेरा शत्रु!

 मैंने  अपने शत्रुओं से पूछा?  मेरा सबसे प्रमुख शत्रु कौन है ?  वह बोला- तू स्वयं!  जो आस्तीन नहीं मोड़ता कभी !

मेरे विचार!

मैं चुप रहा  क्या मैं डर गया  चुप्पी का डर।  2- सब चल रहे थे  मैं भी चला  चलता चला गया   पता नहीं कहाँ निकल आया  वापसी कैसे करूँ   ! 3- किसी ने कहा था  कुछ ने सुना था  सभी सुनने वालों ने  निकाले मतलब  अपने मतलब के । 4-  समझ लो  कोई नहीं बोल रहा  कोई बोलेगा भी नहीं  क्या सब गूंगे है ?  नहीं  सब बहरे हैं । 5-  अरे वाह !  चारो तरफ सन्नाटा है  कितनी शांति है!  नहीं,  कुछ देर पहले बम फटा था ।

लेख कविताएँ और हास्य व्यंग्य

 

बिंदु की रेखा !

रेखा  महंगाई की  लाल रंग की  जबकि  बढती है  सब्जियों से हरी  २  रेखा शेयर बाजार की  कभी ऊपर, कभी नीचे  फिर ऊपर, और फिर नीचे ऐसा प्रतीत होता है जैसे  दंड पेल रहा पहलवान। ३  रेखा  मान और सम्मान की  कोई खींचता नहीं  खीची जाती है  स्वयं से... निरंतर प्रयास कर।  ४  रेखा  लक्ष्मण न खीची थी  माता सीता की रक्षा के लिए लांघा सीता ने ही था  अपहरण हो गया अब कोई नहीं लांघता कोई नहीं खींचता  लक्षमण रेखा  क्योंकि,  अब लक्षमण नहीं ! किन्तु सीता भी कहाँ है! ५  रेखा बिन्दुओं से बनती है अनगिनत किन्तु रेखा सब पहचानते है  बिंदु नहीं  जबकि  बिंदु बूँद है  बूँद से समुद्र बनता है  बिंदु  समापन है  एक वाक्य का  और जीवन का भी  फिर भी सब पहचानते है  रेखा को, समुद्र को  जीवन को  जबकि  सत्य  बिन्दुओ से बना पूर्ण विराम है। 

सन्नाटे में शेयर बाजार

जब शेयर बाजार में   शेयर गिरते है   तो कोहराम मच जाता है   जैसे   न रहा हो कोई अपना   लेकिन , जैसे ही   शेयर बाजार चढ़ता है   पसर जाता है सन्नाटा   उठावनी के बाद का.

नाम

क्या तुम   मुझे जानते हो !   नहीं बिलकुल नहीं   तुम मुझे नहीं जानते   तुम मेरा नाम जानते हो बस !       २-   नाम क्या है ?   उसने जग में बड़ा नाम किया   उसने नाम बदनाम कर दिया   पर यहाँ नाम था   तुम्हारा दिया हुआ   वास्तव में यह नाम नहीं था.       ३-   रावण कौन था ?   इस प्रश्न के भिन्न उत्तर मिलेंगे   रावण प्रकांड पंडित था   रावण दुष्कर्मी था   राक्षस था   असल में वह क्या था   उसका नाम कोई नहीं जानता !       ४-   नाम क्या है ?   नाम अपने आप में अर्थ है   कर्मों का   जो आप कर जाते है।             ५-   नयनसुख अँधा है   दरिद्र नारायण सेठ है   नेता वाचाल है   बहरा श्रोता है   लखपत की एक पत्नी है   नाम में क्या रखा है ?

विषय

हास्य का अंत है  इति'हास  यानि अतीत का रोनाधोना.  २  गणित  अंकों का जोड़-घटाना-गुणा-भाग  ठीक रिश्तों की तरह  जहाँ अंततः  रिश्तेदार भाग जाते है। 

विडंबना

इतिहास में दर्ज हो गया  वह जिसे इतिहास न भाया  कभी ! २  गणित का अध्यापक  कक्षा में पढाता था तिथियाँ गिनता  बटुआ खोलता  घर में ! ३  डॉक्टर 

शिकारी!

पेड़ पर  शेर की छलांग से परे  सुरक्षित दूरी पर  मचान लगा कर  शेर का शिकार करता हूँ  बंदूक के सहारे । फिर भी  शेर शिकार है  और मैं शिकारी। 

दर्पण-पुरूष

 क्या  मनुष्य दो प्रकार के होते हैं?  सज्जन और दुर्जन पुरुष  पर तीसरा भी होता है पुरुष दर्पण में  जिसे हम देखते हैं दर्पण- पुरुष. 

काल- चित्र

काल  एक चित्र बनाता है  लकीरों  से भरा  श्वेत श्याम रंगों का मिश्रण कभी धुंधला सा भी  अतीत में खोजता- विचरता  काल चक्र से जूझता  काल-चित्र .

पत्ते !

पतझड़ में पत्ते गिरते हैं इधर उधर उड़ते , फैलते हैं फिर गन्दगी नाम देकर जला दिये जाते हैं वह हरे पत्ते जो पेड़ से गिरे थे ।

अर्थ व्यवस्था : ५ क्षणिकाएं

विरोधियों की हाय हाय का सेशन बाज़ार में  इन्फ्लेशन। @ खुदरा में न थोक में नज़र आती है महंगाई हर छह महीने के महंगाई भत्ते में नज़र आई। @@ बचत में जाए घट  क़र्ज़ में आये न नज़र समझ लीजिये कि कम हो गई ब्याज दर। @@@ जब न चले बन्दूक , न गोला बारूद की मार फिर भी मचा हो दुनिया में हाहाकार समझ लीजिये कि छिड़ गई है ट्रेड वॉर। @@@@ अमेरिका , चीन और जापान पर जिसकी हो आस्था समझ लीजिये उसे भारत की अर्थ व्यवस्था।   

अब भी !

बच्चा छोटा था  वैसे ही, जैसे दूसरे बच्चे होते हैं  बड़ी बड़ी मीठी बातें करने वाला  बच्चा बड़ा हो गया है  फिर भी  बड़ी बड़ी, मीठी बातें करता है  अब नेता हो गया है बच्चा  आह, बड़ा अब भी नहीं हुआ । 

कारण

बेशक शिकायत वाजिब है कोई नहीं सुनता किसी की क्या तुमने कुछ सुनाने की कोशिश की सिर्फ शिकायत करना कोशिश नहीं । ### रात के सन्नाटे में उसकी चींख उभरी और खामोश हो गई अब झींगुर बोलने लगे थे। ### कोई कितनी भी कोशिश करे किसी को समझाने की बेकार है कोशिश क्योंकि , समझने के लिए समझ भी ज़रूरी है। ### पहले हँसा फिर रोया फिर शून्य में झांकने लगा दुःख व्यक्त करने के लिए ज़रूरी है यह। ### बेशक कोई कुछ न करे आदत है किसी की लेकिन जब कोई कुछ करता है सवाल न करे यह आदत ठीक नहीं। ### मैं समझता रहा कि  सन्नाटा  पसरा हुआ है  सकपका गया मैं मैं क्यों हूँ सन्नाटे में !