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मार्च 12, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

साँवली

मोलहू की बेटी सांवली का रंग सांवला था. शायद इसी रंग के कारण मोलहू ने उसका नाम सांवली रखा था. वैसे सांवली के रंग को सांवला नहीं कहा जा सकता. काफी पका हुआ था उसका रंग. बिलकुल दहकते तांबे के बर्तन  जैसा. नाक नक्श तीखे थे. आँखों के लिहाज़ से उसे मृगनयनी कहा जा सकता था. कुल मिला कर बेहद आकर्षक लगती थी सांवली. एक दिन कुछ दिलफेंक लड़कों ने कह भी दिया था , '' आये हाय ! बिपाशा बासु. '' सांवली फ़िल्में नहीं देख पाती थी. कभी गाँव के किसी अमीर के घर जहां माँ काम करने जाती थी , देख लिया तो बात दूसरी है. यह इत्तेफाक ही था की सांवली ने बिपाशा बासु की एक फिल्म इसी प्रकार से  देखी भी थी. उसे अच्छी तरह से याद है बिपाशा बासु को देख गाँव के लौंडे तो काबू में रहे थे , लेकिन काफी बुड्ढों को सुरसुरी जैसी लग रही थी. अजीब आवाजें निकल रही थी. इनका मतलब न समझ पाने के बावजूद सांवली को शर्म लगी थी. लेकिन जब गाँव के लड़के उसे सेक्सी और बिपाशा कह कर पुकारते तो उसे महसूस होता कि वह बहुत ज्यादा खूबसूरत है. सेक्सी का इससे बड़ा अर्थ जानने की ज़रुरत उसने महसूस भी नहीं की थी. उसे अच्छा लगता जब गाँव के ज...