शनिवार, 8 जून 2013

गंगा, मेरी माँ!

माँ
और गंगा जल
समाता है
जिनकी गोद में
आदमी।

2
गंगा
और माँ
एक पवित्र
दूसरी पतिव्रता।

3
गंगा माँ
और माँ
सब याद करें
दुख में।

4
माँ कहाँ
गंगा में प्रदूषण
सबने कहा
गंगा मर गयी।

5
गंगा
और माँ
जीवनदायनी।

6
हिमालय से निकली गंगा
शिव ने समेटा
घर से विदा हुई माँ
पति ने स्वीकारा
फिर दोनों ने छोड़ दिया
बच्चों के पालन के लिए।

7
गंगा है
माँ की माँ
तभी तो
समा जाती है
गंगा की गोद में
एक दिन माँ भी।

8
गंगा और माँ में अंतर
एक में फेंकते हैं कचरा
दूसरी को समझते हैं
कचरा ।

9
गंगा सूख रही है
माँ मर गयी है
हम कह रहे हैं
कहाँ हो माँ!

10
जहां गंगा बहती है
जहां माँ रहती है
वहीं बसता है
जीवन।











उन्हे टूटना होता है

जो फसलें
हरी होती हैं
उन्हे पकना होता है
जो पक जाती हैं
उन्हे कटना होता है
बिना फलों का पेड़
तना होता है
फलदार पेड़ों को
झुकना होता है।
खासियत इसमे नहीं
कि आप
हरे हैं या तने हैं
जो दूसरों के काम आए
उसे मिटना होता है।
जो खामोश रहते हैं
वह बुत होते हैं
वक़्त बीतते ही
उन्हे टूटना होता है।

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