गुरुवार, 15 मार्च 2012

महाकवि

मैंने
लिखी कुछ पंक्तियाँ
उन्हें नाम दिया कविता
उन्हें छपने भेजा
वह छपीं
प्रशंसा मिली
मैं कवि बन गया था।
मैंने और कविताएँ लिखीं
वह भी छपीं
इस बार प्रशंसा और पुरस्कार भी मिले
मैं खुशी और एहसास से फूल उठा
मैं बड़ा कवि बन गया था
अब मैं कविता नहीं लिखता
अब मैं लिखी कविताओं की आलोचना करता हूँ
कवि सम्मेलनों में कवि पाठ करता हूँ।
क्यूंकि
मैं अब कवि नहीं रहा
अब मैं महाकवि बन गया हूँ।

आँखों की बदसूरती

कुछ चेहरों के साथ
ऐसा क्यूँ होता है
कि वे बेहद बदसूरत होते हैं
इतने कि लोग
उन्हें देखना तक नहीं चाहते
उन संवेदनाओं को भी नहीं
जो उस चहरे पर जड़ी दो आँखों में है
जिनसे
उस बदसूरत चेहरे के अन्दर
झाँका जा सकता है,
उस दिल में छिपी
निश्छलता को भांपा जा सकता है.
ऐसा क्यूँ होता है
हमारी दो आँखों से
बदसूरती से मुंह मोड़ लेतीं हैं
आँखों से शरीर के अंदर झांक कर
बेहद करुणा, दया, ममता और मैत्री
से भरा हृदय नहीं देख पातीं हैं.
काश ऑंखें केवल देख नहीं
महसूस भी कर पाती
तब देख पाती असली सुन्दरता.

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...