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मार्च 11, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

धूप उदास

धूप का एक छोटा टुकड़ा घर की दीवार चढ़ कर झांकता है और फिर धीमे से उतर आता है आँगन में दिन भर पसरा रहता है माँ के गठिया वाले घुटनों को सहलाता कभी बच्चों के बालों से खेलता  और गालों को थपकाता पीठ पर चढ़ जाता है बच्चे पकड़ने की कोशिश करते वह हाथ से फिसल जाता गेंहू पछोरती पत्नी को देखता सूप पर उछलते गिरते दानों को छूता रस्सी पर फैले गीले कपड़ों को नम करता, सुखाता घर में आते जाते लोगों को चुपचाप देखता बिन बुलाये मेहमान की तरह. तभी तो शाम को बच्चे बिना उसे कुछ कहे घर के अन्दर चले जाते उसका चेहरा पीला पड़ जाता वह उदास सा घर से निकल जाता कल फिर से आने को.