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अक्टूबर 11, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सोचो राम !!!

प्रत्यंचा चढ़ाये होठों में मुसकुराते /राम से रावण ने कहा- राम तुम राम न होते मैं रावण नहीं होता तुम वहाँ नहीं होते मैं यहाँ नहीं होता अगर, थोड़ा रुक कर बोला रावण - यहाँ अगर का बड़ा महत्व है राम अगर तुम्हें भाई घाती सुग्रीव न मिलता तो तुम बाली को न मार पाते बानरों से सीता का पता न पाते अगर तुम मेरे भाई को विभीषण न बनाते तो मेरी नाभि के अमृत का पता न चलता मेरी अमरता को मार न पाते । तुम  राम हो और मैं रावण  हूँ क्योंकि मुझे विद्रोही भाई मिले जबकि तुम्हें भरत मिला । अगर भरत भी विभीषण बन जाता तो सोचो राम क्या तुम राम बन पाते ? अयोध्या के राजा बन कर अपनी मर्यादा जता  पाते? सोचो राम !!!