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जनवरी 5, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चौराहा : दो चित्र

चौराहे से गुज़रते हैं ढेरों लोग हर रोज . चौराहा वहीँ ठहरा रहता है किसी के साथ जाता नहीं इसलिए नहीं कि नहीं जाना चाहता चौराहा बल्कि, पहचान बन गया है इतने लोगों के गुजरने के बाद चौराहा. २- चौराहे पर लेटे हुए कुत्ते के लात मार दी थी मैंने साला, रास्ता छेंके लेटा था दर्द से कराहता दुम अन्दर कर पीछे मुड़ मुड़ कर मुझे देखता भाग गया था कुत्ता उस दिन रात लौट रहा था मैं सुनसान चौराहे पर घेर लिया मुझे लुटेरों ने घड़ी, पर्स और चेन सभी लूट लेते कि तभी वही कुत्ता भौंकता हुआ टूट पडा था उन पर भाग निकले थे वह लुटेरे और मैं चौराहा पार कर पीछे मुड़ मुड़ कर देख रहा था कुत्ते को जो सोया पडा था ठीक दिन की तरह बीच चौराहे पर.