बुधवार, 21 सितंबर 2011

दोषी चाकू



एक वीराने स्थल पर
एक इंसान का
मृत शरीर पाया गया
उस मृत शरीर को देख कर
पहला प्रश्न यही था-
उसे किसने मारा-
पशु ने या किसी इंसान ने?
मृत शरीर पर
नाखूनों की खरोंच के,
दांतों से चीर फाड़ के कोई निशान नहीं थे
इसलिए यह तय हो गया कि
उसे किसी पशु ने नहीं मारा.
पास में रक्त से भीगा
एक बड़ा चाकू पड़ा हुआ था.
इसलिए
यह तय पाया गया कि
चाकू से
उस इंसान का क़त्ल 
किसी इंसान ने ही किया है.
पर कोई साक्ष्य नहीं था
कि उसे किसने मारा
उस दिन उस क्षेत्र में
दो सम्प्रदायों के बीच
धार्मिक उन्माद पैदा हुआ था
इसलिए वह इंसान 
धर्म युद्ध में मारा गया  माना गया 
मौक़ा ए वारदात पर मौजूद चाकू को
पहला कातिल माना गया.

पिता और माँ

         पिता  
मैंने दर्पण में
अपना चेहरा देखा.
बूढा, क्लांत, शिथिल और निराश.
सहसा
मुझे याद आ गए
अपने पिता.
       माँ
उस भिखारिन ने
कई दिनों से
खाना नहीं खाया था.
दयाद्र हो कर मैंने
उसे दो रोटियां और बासी दाल दे दी.
अभी वह
बासी दाल के साथ रोटी खाती कि
उसके
मैले कुचैले दो बच्चे आ गए.
आते ही वह बोले-
माँ भूख लगी है.
भिखारिन ने
दोनों रोटियां
बच्चों में बाँट दी.
बच्चे रोटी खा रहे थे.
भिखारिन
अपने फटे आँचल से हवा कर रही थी,
उन्हें देखते हुए
उसके चहरे पर ममतामयी मुस्कान थी.
मुझे सहसा याद आ गयी
अपनी माँ.
          


इच्छा

     इच्छा
मनुष्य
जीना क्यूँ चाहता है?
क्या इसलिए
कि वह
मरना नहीं चाहता है?
नहीं
खोना नहीं,
केवल पाना चाहता है.

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जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...