बुधवार, 16 नवंबर 2011

छेद

एक बार मैंने
आसमान में छेद कर दिया
मैंने आसमान से
कुछ गिरने के अंदेशे से
सावधानीवश
अपने सर पर हाथ रख लिया
मगर कुछ न हुआ,
ना आसमान गिरा, न कुछ और.
इससे मैं उत्साहित हुआ
आसमान में छेद करने में सफल होने के उत्साह में
मैंने अपने घर की छत में
छेद कर दिया
थोड़ी देर बाद,
बदल घिर आये
जम कर बरसे
छत पर मेरे बनाये छेद से
बारिश का पानी
धार बन कर
मेरे सर को चोट पहुंचा रहा था.

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 गरमी में  चिलकती धूप में  छाँह बहुत सुखदायक लगती है  किन्तु, छाँह में  कपडे कहाँ सूखते हैं ! २-   गति से बहती वायु  बाल बिखेर देती है  कपडे...