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फ़रवरी 9, 2023 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

यह कैसी दूरियां !

उस दिन बेटी को  ऑफिस से कन्फर्मेशन लेटर मिला था। दो तीन दिन से घर का माहौल टेंस था।  ऐसा लगा कि ऑफिस में सब कुछ ठीक नहीं है। कदाचित इसलिए तनावपूर्ण वातावरण स्वाभाविक भी था।  ऐसे में कौन अप्रभावित रह सकता है! माँ भी अछूती नहीं थी।  माँ , अपनी बेटी के साथ , पति की इच्छा के विरुद्ध अपना प्रदेश , अपना नगर छोड़ कर , प्रदेश प्रदेश , नगर नगर साथ साथ या पीछे पीछे चल रही थी।   बेटी के जीवन को सुगम और सुचारु चलाने के लिए।   ऐसे में बच्चों से अपेक्षाएं भी हो जाती है।   यहाँ बता दूँ कि बेटी विवाहित थी।   एक बेटी की माँ।   आठ साल की बेटी।   स्कूल जाने वाली। माँ इन सब को सम्हाले रहती।   अस्वस्थता और शारीरिक कष्ट के बाद भी चौका बर्तन सम्हाले रहती।   नातिन को पुचकारती , सम्हालती , स्कूल के लिए तैयार करती।   ऐसे में स्वाभाविक था कि दूसरी ओर से भी अपेक्षाएं   होना   ।   उस दिन बेटी को कन्फर्मेशन मिला। उस दिन   वह घर आई।   खाना खाया। और   पति और बेटी के साथ घर से बाहर निकल गई।   पैर का कष्ट झेल रही...