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नवंबर 7, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सपने

मैं कई दिन सोया नहीं खुली आँख लिए जागता रहा होता यह था कि मैं सोते हुए सपने बहुत देखता था फिर यकायक आँख खुल जाती थी सपने खील खील हो बिखर जाते थे. मुझे सपनों का टूटना बड़ा ख़राब लगता था. ऐसे ही कई दिन बीत गए,   मुझे जगे हुए कि एक दिन ख्वाब मेरे सामने आ गया बोला- तुम सो क्यूँ नहीं रहे ? मैंने पूछा- तुम कौन हो पूछने वाले यह मेरा निजी मामला है. ख्वाब बोला- यही तो कमी है तुम ख्वाब देखने वालों की कि आँख खुलते ही तुम मुझे भूल जाते हो. अरे, अगर तुम्हे जागने के बाद मैं याद रहूँगा तभी तो तुम मुझे साकार कर पाओगे भाई, सपने जाग कर भूल जाने के लिए और टूटने पर रोने के लिए मत देखा करो.