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नवंबर 10, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पाँच बातें

 (1) छोटे पैर वालों पर हँसना कैसा ! तीन लोक नापने वाले वामन ऐसे ही होते हैं। (2) हम राम नहीं हो सकते क्यूंकि, शबरी ने राम को जूठा कर वह बेर खिलाये जो सचमुच मीठे थे। राम ने इसमे भक्ति देखी हमने शबरी की जाति देखी। (3) इंसान और फल का फर्क पेड़ से फल गिरता है लोग उठा कर खा जाते हैं लेकिन जब इंसान गिरता है तो उसे कोई उठाता तक नहीं, सभी हँसते है। क्यूंकि, जहां गिरा फल मीठा होता है वहीं गिरा इंसान विषैला होता है। (4) नन्ही चींटी का रेंगना सबक है वह रेंग रेंग कर भी भोजन मुंह मे दबा कर घर ही जाती है। (5) जीवन कितना है ? एक सौ साल या हजार साल अगर सांस लेते रहो हर सांस के साथ सौ साल तक अगर कुछ करते रहो तो हजारों हज़ार साल भी। (6) 'जाने दो' 'हटाओ' 'फिर देखेंगे' 'हम ही हैं क्या' दोस्त टालने के लिए ज़्यादा शब्द ज़रूरी नहीं।

ढाबे के गुलाब

ये वह फूल नहीं हैं जो चाचा नेहरु की जैकेट के बटन होल से टंगा नज़र आता है. कहाँ चाचा के दिल से सटा सुर्ख गुलाब कहाँ पसीने और गंदगी से बदबूदार पीले चेहरे और खुरदुरे हाथों वाले ढाबे पर बर्तन मांजते बच्चे ! उनके चारों ओर रक्षा करने वाले गुलाब के कांटे नहीं उन्हें बींध देने वाले नागफनी काँटों की भरमार है. ऐसे बच्चे चाचा के गुलाब कैसे हो सकते हैं? फिर, क्या कभी किसी ने देखे हैं चाचा की नेहरु जैकेट पर सजा मुरझाया गुलाब?