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अप्रैल 30, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मैं मैंने

गालियों की शराब और मत फेकिये मुझ पर, सब्र का पैमाना मेरा भर गया है। ठहरिये आप क्या देखेंगे मुझे, आपकी ओर पीठ कर ली है मैंने। कहते कहते थक गया, आपने सुना नहीं, अब मैं सो रहा हूँ, मुझसे पूछो न कुछ। कल तुमने मुझे तमाशा बना दिया, आज लोग तुम्हे देख रहे हैं।