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सितंबर 17, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

माँ की याद

                                                           माँ की याद कल मुझे यकायक अपनी माँ की याद आ गयी. मुझे ही नहीं घर में सभी को यानि पत्नी और बेटी को भी याद आई. वजह कुछ खास नहीं. हम लोग घूमने निकल रहे थे. .. ठहरिये, आप यह मत सोचना कि हम उन्हें अपने साथ ले जाना चाहते थे. नहीं, ऐसा बिलकुल नहीं था. क्यूंकि वह अब इस दुनिया में नहीं रहीं. अगर होती भी तो भी हम साथ नहीं ले जाते. कभी ले भी नहीं गए थे. बड़ी चिढ पैदा करने वाली माँ थी वह. दिन भर बोलती रहती. यह ना करो, वह न करो. बेटी को रोकती कि अकेली मत जा, ज़माना बड़ा ख़राब है. बेटी चिढ जाती. नए जमाने की आधुनिक, ग्रेजुएट लड़की थी वह.  उसे टोका  टाकी बिलकुल पसंद नहीं थी. चिढ जाती. भुनभुनाते हुए उनके सामने से हट जाती. माँ खाने में भी मीन मेख नि...