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नवंबर 7, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

निराशा

कभी/जब आशा साथ छोड़ जाए चारों ओर निराशा ही निराशा हो तब घबराओ नहीं निराशा को दोस्त बनाओ उससे प्यार करो वही बताइएगी आशा की राह क्यूंकि निराशा सबसे अधिक अनुभवी होती है उसे हर कोई ठुकराता है उसे हमसे ज़्यादा दर दर की ठोकरें जो मिलती हैं वह हमेशा आशा की जगह लेने के लिए आशा का पीछा करती रहती है इसीलिए वह भगवान से भी ज़्यादा जानती है कि आशा कहाँ मिलेगी।