बुधवार, 7 नवंबर 2012

निराशा

कभी/जब
आशा साथ छोड़ जाए
चारों ओर निराशा ही निराशा हो
तब घबराओ नहीं
निराशा को दोस्त बनाओ
उससे प्यार करो
वही बताइएगी आशा की राह
क्यूंकि
निराशा सबसे अधिक
अनुभवी होती है
उसे हर कोई ठुकराता है
उसे हमसे ज़्यादा
दर दर की ठोकरें जो मिलती हैं
वह हमेशा
आशा की जगह लेने के लिए
आशा का पीछा करती रहती है
इसीलिए वह
भगवान से भी ज़्यादा जानती है
कि आशा कहाँ मिलेगी।

अकबर के सामने अनारकली का अपहरण, द्वारा सलीम !

जलील सुब्हानी अकबर ने हठ न छोड़ा।  सलीम से मोहब्बत करने के अपराध में, अनारकली को फिर पकड़ मंगवाया। उसे सलीम से मोहब्बत करने के अपराध और जलील स...