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मार्च 8, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

खुशियां

मैं खड़ा रहा लोग आते गए रंग लगाते गए. जो लगा जाते दूर खड़े हो कर मेरा चेहरा देख कर हंसते- देखो, कैसा बन्दर बना दिया है. मैं उनकी इस खुशी पर दूना खुश हो रहा था. मैं उन्हें कैसे बताता कि मेरे चेहरे पर लगे रंग वह खुशियाँ हैं, जो दोनों हाथ लुटाई गयी हैं.