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मई 3, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बाढ़ बन जाती है नदी

किनारे कभी नदी को नहीं रोकते अबाध बहने  देते हैं।  किनारे मदमस्त होने से रोकते हैं नदी को सीमा लांघने के प्रयासों को हौले से असफल करे देते  है निस्संदेह, कभी नदी किनारों का नियंत्रण नहीं मानती किनारे बह जाते हैं बिखर जाता है सब कुछ इसके बावजूद नदी को फिर किनारों की शरण में आना पड़ता है नदी सीखती है सबक कि अनियंत्रित हो कर  अपनी पहचान खो बैठती है, बाढ़ बन जाती है नदी।