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सिंहासन

देखो दोस्त,
जनपथ पर राजा बैठा है,
उसका एक गद्दियों वाला बड़ा सिंहासन है
जो बहुत मज़बूत है
राजा बहुत ताक़तवर है
उसके पास दंड और क्षमा का
राजदंड होता हैं
उसके दोनों और विद्या और बुद्धी का प्रकाश
उसे निर्णय लेने की राह दिखाता रहता है
लेकिन वह
इन शक्तियों का
उचित प्रयोग नहीं करता
वह इन शक्तियों को वैयक्तिक मानता है,
इनका दुरूपयोग करता है
वह प्रजा को, नियम और कानूनों को
अपनी पायदान बना लेता है.
उसे घमंड है
अपने बड़े से मज़बूत सिंहासन पर
इसलिए वह
प्रजा हित के बजाय
अपने और अपने ईष्ट मित्रों पर ज्यादा ध्यान देता है
लेकिन वह नहीं जानता कि
सिंहासन कितना भी मज़बूत क्यूँ न हो
गद्दी मज़बूत नहीं होती
वह टिकी होती है चार पायों पर
इसलिए
महत्वपूर्ण उसके पाये होते है
यह पाये संवेदनशील होते है
भ्रष्टाचार और भाई भतीजावाद उन्हें विचलित कर देता है
तुम इन्हें
राजा की गद्दी के नीचे से सरका सकते हो
पर ध्यान रहे
इन पायों को
हिंसक हो कर मत तोड़ना
क्यूंकि,
इन्हें ही फिर सहारा देना है
जनपथ के राजा को.

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