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जनवरी 27, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पलायन

अकेलेपन की चाह में मैं अपनों से भागता रहा। पर बावजूद इसके मेरे साया मेरे साथ था। मैं जितना भागता वह उतना तेज़ मेरे पीछे होता। इस से घबराकर में अंधेरे में घुस गया। कुछ देर बाद जब निकला तो न साथ अपने थे, न साया साथ था न उजाला ही रहा।