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मार्च 2, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

द्रौपदी

आज भी द्रोपदी को कामुक निगाहें घूरती हैं लोग उसको नंगा होते देखना चाहते है। पर अब दुस्साशासन  द्रौपदी की चीर नहीं खींचता इसका यह मतलब नहीं कि, दुस्साशन सुधर गया है बल्कि, अब द्रौपदी साड़ी नहीं, मिनी पहनती है।  

मेघ

काले, घुमड़ते और गरजते मेघ की तरह तुम किसी बच्चे को सहमा सकते हो, डरा भी सकते हो लेकिन, अगर वह विचलित नहीं हुआ तुम्हारी गर्जना से बारिश की आशा से प्रफुल्लित हुआ तो तुम्हें बरसाना ही होगा।