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पांच दीपक और चाँद उदास

१- आस्था का दीपक जलेगा आवश्यकता क्या है तीली सुलगाने  की भावनाओं की २- माँ जब दीपक जला चुकी तब कुलदीपक के नैनों के दीप जल उठे अब फुलझड़ी जलेगी. ३- पूजा की शीघ्रता विघ्नहर्ता गणेश को नहीं लक्ष्मी माता को भी नहीं मूषक राज को चढ़ावा कुतरेंगे। ४- संग संग जलते इठलाते बतियाते दीपक मानों कह रहे हों- अब ठण्ड पड़ने लगी. ५- नन्हा कहीं खो गया क्या ! सबने खोज इधर उधर नन्हा मिला दीपक के पास पूछ रहा था- अकेले उदास तो नहीं।   चाँद उदास चाँद उदास था क्रमशः क्षय को रहा था शरीर तारों ने पूछा- उदास क्यों ! बोला- मैं देख नहीं पाऊंगा पृथ्वी पर टिमटिमाते नन्हे नन्हे दीपों के अंधकार भगाने के कौशल को,  अंधकार के भयभीत चेहरे को जो प्रतीक्षा करता है मेरे क्षय की ताकि, फैला सके पूरी दुनिया में अपना साम्राज्य।  तब तारों ने कहा- हाँ, हम सौभाग्यशाली है देखते हैं नन्हे दीपों का अन्धकार से सफल युद्ध परन्तु, इसे तुम देख सकते हो हमारी विजयी झिलमिलाहट में।