दरअसल , कांग्रेसियों और वामियों ने देश की राजनीति को गर्त में डाल दिया है. २०१४ के , सदमे के बाद से , विपक्ष कुछ इतना विक्षिप्त हो चुका है कि उसे राजनीति , विरोध , देश भक्ति , राष्ट्रीयता , हिन्दू , हिंदुत्व , आदि शब्दों से एलर्जी हो चुकी है. इनका केवल एक ही लक्ष रह गया है , किसी भी तरीके से कुछ ख़ास शब्दों का बार बार उपयोग और विरोध. २०१९ में बुरी तरह से हारने के बाद विपक्ष को , ख़ास तौर पर कांग्रेस को लगने लगा है कि वह कभी केंद्र की सत्ता में वापस आने वाले नहीं. दूसरी बार सत्ता में आने के बाद , जिस प्रकार से NDA सरकार ने देशहित में निर्णय लिए , इससे विपक्ष को लगने लगा है कि अब उनका बैंड बजने ही वाला है. इनके कोढ़ में खाज पैदा की सुप्रीम कोर्ट के राम मंदिर के निर्णय ने. इनके हाथों से मुस्लिम तुष्टिकरण का एक बड़ा हथियार निकल गया है. उस पर , केंद्र सरकार , जिस प्रकार से भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्यवाही कर रही है , उससे तमाम राजनीतिक दलों , नौकरशाहों , पत्रकार और सौदे में दलाली खाने वालों में हडकंप है. NCP के नेताओं के दाऊद इब्राहीम से संबंधों के खुलासे ने खतरे की घंटी बजा दी. अब भला हो श...
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