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सितंबर 24, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

कौव्वा

कभी हमारे घर की मुंडेर पर कौव्वा आ बैठता था। जब वह कांव कांव करता तो आ आ का आभास होता  हम बच्चे उसे उड़ाने लगते पत्थर फेंक कर/तब माँ कहती- बेटा, ऐसा न कर मेहमान घर आने वाला है कौव्वा उनके आने का संदेश दे रहा है आज घर है मुंडेर नहीं कौव्वा बैठे भी तो कहाँ क्या/शायद इसीलिए हमारे घर कोई मेहमान नहीं आता?