घनघोर वर्षा
कड़कती बिजली
गर्जन करते मेघ
सब जल- थल
मैं माँ के पास बैठ जाता
माँ चिन्तित दृष्टि बाहर डालती
मेघ आच्छादित आकाश देखती
मैं समझ नहीं पाता
माँ इतनी चिन्तित क्यों!
हम तो घर में है सुरक्षित
चिन्ता की बात क्या
तभी छत टपकने लगी
टपाक!
एक बूँद मेरे सर पर बजी
अब मैं समझ गया था।