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फ़रवरी 2, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

इंसान

इंसान अगर सांप्रदायिक होता तो माँ के गर्भ से उसके हाथ में कटार या तलवार होती आँखे शोले उगल रही होती होठों पर नफ़रत के बोल होते. वह बंद मुट्ठी में अपनी तकदीर न लाया होता, उसकी आँखों में करुणा नहीं होती वह माँ माँ कह कर बिलख न रहा होता.