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अगस्त 19, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शरीर

ईश्वर ने इंसान को दो हाथ और दो पाँव दो छिद्रों वाली एक नाक के ठीक ऊपर दो आँखें बत्तीस दांत और उनके बीच लचीली जीभ इसलिए नहीं दी कि अपने पैरों तले मानवता को रौंद दे हाथों से रक्तपात और अशुभ करे । बुरा सूंघने और देखने के लिए नहीं हैं दो आंखे और एक नाक दूसरों को काटने के लिए नहीं हैं दाँत  क्योंकि बोलने की आज़ादी की रक्षा के लिए हैं दाँत मानवता को बचाने के लिए हैं हाथ अन्यायी के खिलाफ मजबूती से खड़ा होने के लिए हैं पैर नाक के दो छेद और आँखें अच्छा और बुरा समझने बूझने और देखने के लिए हैं । मगर ऐसा क्यों नहीं हो पाता ? क्योंकि, हमारे हृदय में नहीं बहता इंसानियत का खून नियंत्रण में नहीं होता मस्तिष्क बल्कि, नियंत्रित करते हैं दूसरे जो इंसानियत जैसा नहीं सोंचते ।