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जनवरी 30, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

ठुल चेल यानि बड़ा बेटा

मैं पैदा हुआ घर में थाली बजाई गयी, मिठाइयाँ बांटी गयीं . रिश्तेदारों क्या पूरे मोहल्ले वालों ने माँ पिताजी को बधाइयाँ दीं, मिठाइयाँ कहें. फिर मेरे बाद दो भाई और दो बहने और हुईं. माँ मुझे लोगों से मिलातीं मेरे सर पर हाथ फेरते हुए परिचय करातीं,   यह मेरा ठुल चेल यानि बड़ा बेटा है. मैं घमंड से भर जाता. मैं पढ़ने में अच्छा था हमेशा टॉप आता, भाई बहन भी टॉप करते माँ पिता कहते ठुल चेल ने शुरुआत कर दी है, सभी बच्चे टॉप करेंगे. ऐसा ही हुआ भी। मैं पढ़ लिख कर ऑफिसर बन गया. माँ पिता का सीना फूल गया, उनका ठुल चेल ऑफिसर बन गया था. उन्होने कहा, ठुल चेल ने शुरुआत कर दी है। दोनों भाई भी ऑफिसर बन गए. दोनों बहनों का विवाह  हो गया.  मैंने बड़ा घर खरीदा दोनों भाइयों ने भी अपने मकान बना लिए माँ गर्व से भर गयीं, मेरे ठुल चेल ने शुरुआत कर दी थी. इसलिए दोनों बेटों ने भी घर बना लिए। फिर हम सबकी शादियाँ हो गयीं. पत्नियाँ घर आ गयीं एक दिन पत्नी ने कहा, सुनो जी, इतनी बड़ी गृहस्थी मुझसे नहीं सम्हलती तुमने मकान ...