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अक्टूबर 2, 2011 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

गांधी

गांधी हमारे देश के नहीं थे भाई गांधी हमारे देश के कैसे हो सकते हैं। कहाँ हम लक़दक़ कपड़ों में घूमने वाले इंडियन कहाँ लंगोटी बांधे भारत की गली गली घूमता फकीर कहाँ हम महंगी घड़ी बांधे फॉरवर्ड कहाँ लाठी पकड़े अंग्रेजों को हकाने वाला बॅकवर्ड कहाँ हम फर्राटेदार अंग्रेज़ी बोलने पर गर्व करने वाले अँग्रेज़ीदाँ कहाँ भारतीय भाषाओं के बल पर अंग्रेजों को झुकाने वाला हिंदुस्तानी। वह इंडिया के लायक नहीं था तभी तो आज़ादी के बाद गोडसे ने उसे शरीर से मारा हमने उसे विचारों से भी मार दिया। अरे भाई कह दिया न गांधी हमारे देश के लिए नहीं थे गांधी जयंती २ अक्टूबर