सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

सितंबर 4, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हिन्दी

अपने देश में पिता के घर भ्रूण हत्या से बच गयी बेटी जैसी उपेक्षित, ससुराल में कम दहेज लाने वाली बहू जैसी परित्यक्त    क्यों है विधवा की बिंदी जैसी राष्ट्रभाषा हिन्दी । (2) कमीना सुन कर नाराज़ हो जाने वाले लोग अब बास्टर्ड सुन कर हँसते हैं।