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एब्सॉल्यूट इंडिया मुंबई में दिनांक १६ नवंबर २०१४ को प्रकाशित सर्दी पर १० हाइकू

शीत पर १० हाइकू

इस जाड़े में आँखें कहाँ खुलती भोर देर से। २- उषा किरण नन्हे की नाक लाल इतनी ठण्ड ! ३- हवा का झोंका नाक बह रही है प्रकृति क्रीड़ा। ४- सूर्य उदय श्रमिक जा रहे हैं रुकता कौन ! ५- बर्फ गिरती सब सोये हुए हैं चादर तनी। ६- शीत का सूर्य बच्चा आँगन खेले अच्छा लगता। ७- सूर्य कहाँ है घूमने कौन जाये दुबके सब। ८- पत्ते पीले हैं  बाबा भी बीमार है क्या बचेंगे ? ९- हो गयी शाम खिल गए चेहरे निशा आ गयी। १०- चन्द्रमा खिला संध्या थक गयी है गुड नाईट ।