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अक्टूबर 20, 2014 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

करुणा

बूँद आसमान से गिरी या आँख से ! दोनों में संभव है करुणा तपती धरती के लिए भूखे बच्चे के रोने पर अंतर है सामर्थ्य का।  आसमान से गिरी बूँद बारिश बन कर धरती तृप्त कर सकती है पर आँखों से गिरी बूँद भूख नहीं मिटा सकती।  

मैं चला

जब रास्ते तुम्हे अज़नबी लगें समझ लो राह भटक गए हो। २. जश्न मनाने में मैं भूल गया कि, आतिशबाजियां जला सकती हैं किसी का घर .  ३.  मैं चलना चाहता था निर्बाध/ चला भी राह के काँटों ने मुझे रोक लिया मैं रुका/थोड़ा झुका कांटे बटोरे एक किनारे कर दिए फिर मैं आगे बढ़ लिया अब पीछे आने वालों के भी रास्ता साफ़ था .