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जनवरी 9, 2013 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

खिचड़ी

मकर संक्रांति के दिन जब, मुन्ना खिचड़ी खा रहा होगा चुन्ना की माँ भी खिचड़ी बनाएगी । लेकिन खिचड़ी खिचड़ी में फर्क होगा मुन्ना की खिचड़ी में घी होगा चुन्ना की खिचड़ी सूखी होगी, थोड़ी कच्ची भी। मुन्ना की खिचड़ी से खुशबू निकल रही होगी चुन्ना की खिचड़ी से गरम भाप तक नदारद होगी । खुशबू, वह भी देशी घी की खुशबू गरीबी और अमीरी के भेद के बावजूद गरीब बच्चे और अमीर बच्चे में फर्क नहीं करती वह समान रूप से जाती है दोनों के नथुनों में अलबत्ता लालच की मात्र ज़्यादा और कम ज़रूर होती है चुन्ना ज़्यादा ललचा रहा है क्योंकि, मुन्ना की थाली में जो घी है वह चुन्ना की थाली में नहीं वह उसे खाने की बात दूर छू तक नहीं सकता । पर एक चीज़ होती है भूख जो अमीर बच्चे और गरीब बच्चे में समान होती है, समान रूप से सताती है वह जब लगेगी, तब मुन्ना घी के साथ और चुन्ना घी की खुशबू के साथ ज़रूर खाएगा खिचड़ी।