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जून 17, 2012 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

सावन ( saawan )

रिमझिम सावन भीगे आँगन तन मन मेरा। । ताल तलैया ता ता थईया गिर कर नाचे बूंद। पात पात पर बात बात पर बच्चे थिरके झूम। मोद मनाए गीत सुनाये तन मन मेरा ।। खेत तर गए डब डब भर गए क्यों भाई साथी। हलधर आओ खेत निराओ सब मिल साथी। लहके बहके चटके मटके तन मन मेरा । । बीज उगेंगे पौंध बनेंगे धरा से झाँके  । फसल उगेगी बरस उठेगी कृषक की आँखें । घिर घिर आवन सिहरत सावन तन मन मेरा।

पिता (pita)

पिता के मायने सबके लिए अलग अलग होते हैं किसी के लिए फादर है किसी के लिए पा या डेड़ी है यह अपनी भाषा में पिता समझने के शब्द है ... पर पिता को समझना है तो पिता की भाषा समझो जो केवल व्यक्त होती है अपने बच्चे को देखती चमकदार आँखों से बच्चे को उठाए हाथों के स्पर्श से बीमार पड़ने पर रात रात जागती आँखों के उनींदेपन से बच्चे की परवरिश करने की तन्मयता से बच्चे के भविष्य में अपना भविष्य खोजती बेचैनी से जिसे आम तौर पर बच्चा देख नहीं पाता इसलिए अपनी भाषा में कहता है- मेरे फादर थे, मेरे पा थे मेरे डैडी थे।